और धीरे धीरे उनका स्थूल आहार स्वत: ही सूक्ष्म व कम होता जाता है। और धीरे धीरे उनका स्थूल आहार स्वत: ही सूक्ष्म व कम होता जाता है।
हर क्षेत्र का खाना दूसरे क्षेत्र से बहुत अलग होता है हर क्षेत्र का खाना दूसरे क्षेत्र से बहुत अलग होता है
मैं खुश हूँ कि मेरी दोस्त मरकर भी किसी के काम आई मैं खुश हूँ कि मेरी दोस्त मरकर भी किसी के काम आई
किसी भी निश्चित दिशा में यथार्थ पुरुषार्थ की भूमिका हमेशा ही अनिवार्य रहती है। किसी भी निश्चित दिशा में यथार्थ पुरुषार्थ की भूमिका हमेशा ही अनिवार्य रहती है।
इस तरह थोड़ी समझदारी और थोड़े सामंजस्य से घर सुचारु रूप से चल पड़ा ! इस तरह थोड़ी समझदारी और थोड़े सामंजस्य से घर सुचारु रूप से चल पड़ा !
वैचारिक/बौद्धिक संपन्नता व अध्यात्मिक सम्पन्नता बहुत गहरे अर्थों में एक दूसरे के पूरक हैं वैचारिक/बौद्धिक संपन्नता व अध्यात्मिक सम्पन्नता बहुत गहरे अर्थों में एक दूसरे के...